राफेल की परमाणु मिसाइल ले जाने की क्षमता इसे सबसे अलग बनाती है, चीन और पाकिस्तान की सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स में भी ये खूबी नहीं है
करीब साढ़े आठ साल की हां-ना के बाद राफेल विमानों की पहली खेप बुधवार को भारत पहुंच जाएगी। राफेल के देश में आने से पहले की कहानी में कई उतार चढ़ाव रहे। इसके आने के साथ ही भारतीय वायुसेना की ताकत बहुत बढ़ जाएगी। ये विमान हमारे दो पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स के लिए बड़ी चुनौती होगा।
राफेल हवा में सिर्फ 28 किमी प्रति घंटा की बहुत धीमी रफ्तार से उड़ने के साथ-साथ 1,915 किमी/घंटे की तेज रफ्तार भी पकड़ सकता है। ये न सिर्फ हवा से हवा में मार सकता है बल्कि हवा से जमीन में भी मारने में सक्षम है। राफेल की स्पीड भले ही एफ-16 और जे-20 से कम है, लेकिन इसकी एक्यूरेसी इसे इनसे ज्यादा मारक बनाती है।
परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ फोर्थ जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में ये खूबी नहीं है।
सबसे बड़ी चीज जे-20 की क्षमता को लेकर विवाद भी हैं। पश्चिमी देश इस फाइटर जेट को चीन का प्रोपेगेंडा भी बता चुके हैं। चीन इसे फोर्थ जनरेशन फाइटर प्लेन बताता है। जबकि, जिस तरह की खूबियों का इसमें दावा किया गया है वो पांचवीं जनरेशन के फाइटर प्लेन में होती हैं। फिलहाल दुनिया में पांचवीं जनरेशन का सिर्फ एक फाइटर प्लेन ऑपरेशन है। वो है एफ-22।
- राफेल को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है। इसमें ताकतवर एम88-2 आगमेंटेड इंजन लगा हुआ है।
- राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है। इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।
एक मिनट में 60 हजार फीट तक की ऊंचाई तक पहुंच सकता है राफेल
राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसके साथ ही, ये कम से कम ऊंचाई से लेकर ज्यादा से ज्यादा ऊंचाई तक, दोनों ही स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। इसके साथ एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है। राफेल की विजिबिलिटी 360 डिग्री है, जिसकी मदद से ये ऊपर-नीचे के अलावा चारों तरफ निगरानी कर सकता है।
सोर्स: globalfirepower.com
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from Dainik Bhaskar /national/news/rafaels-ability-to-carry-nuclear-missiles-makes-it-different-127559700.html
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