Skip to main content

वैक्सीन लगने के 8 घंटे बाद टीचर बोले- पत्नी को एक दिन पहले बताया था, वो खुशी से राजी हो गई

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारत बॉयोटेक और ICMR की कोवैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल शुरू हो गया है। पहला डोज पटेल नगर में रहने वाले आर्ट के शिक्षक को लगाया गया। टीका लगने के 8 घंटे बाद उन्होंने दैनिक भास्कर से बात की।

टीचर ने बताया कि वह पहले जैसा नॉर्मल महसूस कर रहे हैं। उन्होंने पत्नी और दोनों बेटियों को कोरोना की कोवैक्सीन लगवाने की बात एक दिन पहले ही बताई थी, वह सब खुशी-खुशी राजी हो गए।

मध्य प्रदेश में कोवैक्सीन का पहला डोज लेने के आठ घंटे बाद वॉलंटियर शिक्षक की कहानी, उन्हीं की जुबानी….

‘मैंने तीन दिन पहले दैनिक भास्कर में खबर पढ़ी थी कि भोपाल में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होने जा रहा है और उसमें टीके लगाए जाएंगे। इस खबर के बाद मैंने पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया और टीका लगवाने के लिए अपनी सहमति दी। उन्होंने मेरा रजिस्ट्रेशन कर लिया और 27 नवंबर को मेडिकल कॉलेज आने को कहा। उस समय मैंने परिवार को ये सब नहीं बताया था।’

मैं पत्नी और दो बेटियों के साथ भानपुर के पटेल नगर में रहता हूं। पत्नी को एक दिन पहले गुरुवार को मैंने पूरी बात बताई। मेरी दोनों बेटियां (बड़ी बेटी 14 साल और छोटी बेटी 8 साल की हैं) भी उस समय वहां मौजूद थीं। मैंने पत्नी को बताया कि पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई है। इसके लिए बन रहे टीके का ट्रायल पीपुल्स अस्पताल में हो रहा है। क्या मुझे टीका लगवाना चाहिए? मेरी पत्नी खुशी-खुशी इस बात के लिए राजी हो गई और कहा कि यह बहुत अच्छा है, इससे लाखों लोगों का फायदा है, आप जरूर टीका लगवाएं।’

कोरोना के टीके का पहला डोज लगवाने वाले शिक्षक।

टीका लगवाने के बाद बाइक चलाकर पहुंचे अपने घर

27 नवंबर को कोवैक्सीन टीके का पहला डोज लगवाने के बाद टीचर को एक घंटे तक डॉक्टरों ने निगरानी में पीपुल्स हॉस्पिटल में ही रखा गया। इसके बाद जब सबकुछ ठीक लगने लगा, तो उन्हें घर जाने दिया गया। टीचर ने बताया, ‘मैं अपनी बाइक से आराम से घर पहुंचा।

घर पहुंचने पर मेरी बेटी और पत्नी बेहद खुश थे। पूरे दिन से अस्पताल में था, इस वजह से घरवालों से बात भी नहीं हो पाई थी, लेकिन जब टीका लगवाने के बाद उनसे बात की तो मैं भी खुश था और मेरा परिवार भी। आखिर ये मेरे साथ ही लाखों लोगों की जिंदगी का सवाल है। इसलिए मैं इसमें सहभागी बना हूं।’

‘घर आने के बाद मैंने खाना खाया। पत्नी ने मेरी पसंद का खाना (दाल-बाटी) बनाया था। भरपेट खाना खाया और फिर बेटियों के साथ दिनभर जो हुआ, उस पर चर्चा की। परिवार की जिज्ञासाओं को एक-एक करके शांत करता रहा।’

डॉक्टरों ने कहा-भूल जाएं की टीका लगा है, कोई टेंशन नहीं लेना है

‘टीका लगने के बाद डॉक्टरों ने मुझे प्रिकॉशंस लेने और साफ-सफाई रखने के लिए कहा। उन्होंने लोगों से भी डिस्टेंस बनाने और कोविड गाइडलाइन का पालन करने के लिए भी कहा है। मुझे कहा गया है कि भूल जाऊं कि कोई टीका लगवाया है, मतलब कोई टेंशन नहीं लेना है। बस हर रोज अपनी डायरी जरूर मेंटेन करते रहना है। अपने दिन भर के क्रियाकलापों को दर्ज करना है। कुछ अटपटा लगता है तो वह भी दर्ज करना है’

कोवैक्सीन का टीका लगवाने वाले टीचर पटेल नगर के एक स्कूल में आर्ट और मिडिल क्लास तक के बच्चों को मैथ्स पढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि ‘टीके का डोज लेते समय मुझे जरा भी डर नहीं लगा, क्योंकि मुझे पता था कि यह हजारों-लाखों जिंदगी से जुड़ा सवाल है। इसमें शामिल होने को मैं अपना सौभाग्य मानता हूं।’

‘टीका लगाने के बाद नर्स ने पूछा था कि कुछ महसूस हो रहा है, कुछ अटपटा सा तो नहीं लग रहा है। मेरा यही जवाब था कि सब कुछ ठीक है। मुझे कुछ भी नहीं महसूस हो रहा है ना ही कुछ अटपटा लग रहा है। एकदम ठीक हूं। उन्होंने कहा है आश्वस्त किया है कि वह हर रोज मुझसे फोन पर बात करेंगे और स्वास्थ्य के बारे में पूछेंगे।'



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
राजधानी भोपाल में शुक्रवार को कोरोना के टीके (कोवैक्सीन) का थर्ड फेज ट्रायल शुरू हुआ, जिसमें पहले दिन 7 लोगों को डोज दिए गए।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2KH6pB7

Comments

Popular posts from this blog

आज वर्ल्ड हार्ट डे; 1954 में सर्न बना जिसने खोजा गॉड पार्टिकल, भारत भी रहा था इस सबसे बड़ी खोज का हिस्सा

वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाता है, ताकि लोगों को दिल की बीमारियों के बारे में जागरुक कर सके। 1999 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन, तब तय हुआ था कि सितंबर के आखिरी रविवार को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाएगा। पहला वर्ल्ड हार्ट डे 24 सितंबर 2000 को मना था। 2011 तक यही सिलसिला चला। मई 2012 में दुनियाभर के नेताओं ने तय किया कि नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज की वजह से होने वाली मौतों को 2025 तक घटाकर 25% लाना है। इसमें भी आधी मौतें सिर्फ दिल के रोगों की वजह से होती है। ऐसे में वर्ल्ड हार्ट डे को मान्यता मिली और हर साल यह 29 सितंबर को मनाया जाने लगा। इस कैम्पेन के जरिये वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन सभी देशों और पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाता है और कार्डियोवस्कुलर रोगों से लड़ने के लिए जागरुकता फैलाने का काम करता है। दुनियाभर में दिल के रोग नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज में सबसे ज्यादा घातक साबित हुए हैं। हर साल करीब दो करोड़ लोगों की मौत दिल के रोगों की वजह से हो रही है। इसे अब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी माना जाता है, जिससे अपनी लाइफस्टाइल को सुधारक...

60 पार्टियों के 1066 कैंडिडेट; 2015 में इनमें से 54 सीटें महागठबंधन की थीं, 4 अलग-अलग समय वोटिंग

बिहार में चुनाव है। तीन फेज में वोटिंग होनी है। आज पहले फेज की 71 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 1 हजार 66 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 952 पुरुष और 114 महिलाएं हैं। दूसरे फेज की वोटिंग 3 नवंबर और तीसरे फेज की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने वोटिंग का समय एक घंटे बढ़ाया है। लेकिन, अलग-अलग सीटों पर वोटिंग खत्म होने का समय अलग-अलग है। 4 सीटों पर सुबह 7 से शाम 3 बजे तक वोटिंग होगी। वहीं, 26 सीटों पर शाम 4 बजे तक, 5 सीटों पर 5 बजे तक, बाकी 36 सीटों पर 6 बजे तक वोट डाले जाएंगे। पहले फेज की 6 बड़ी बातें सबसे ज्यादा 27 उम्मीदवार गया टाउन और सबसे कम 5 उम्मीदवार कटोरिया सीट पर। सबसे ज्यादा 42 सीटों पर राजद, 41 पर लोजपा और 40 पर रालोसपा चुनाव लड़ रही है। भाजपा 29 पर और उसकी सहयोगी जदयू 35 पर मैदान में है। 22 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार हैं। 31 हजार 371 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इसमें 31 हजार 371 कंट्रोल यूनिट और VVPAT यूज होंगे। 41 हजार 689 EVM का इस्तेमाल होगा। वोटर के लिहाज से हिसुआ सबसे बड़ी विधानसभा है। यहां 3.76 लाख मतदाता हैं। इनमें 1.96...

दुनिया के 70% बाघ भारत में रहते हैं; बिहार, केरल और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बढ़ रही है इनकी आबादी

आज ग्लोबल टाइगर डे है। इस वक्त पूरी दुनिया में करीब 4,200 बाघ बचे हैं। सिर्फ 13 देश हैं जहां बाघ पाए जाते हैं। इनमें से भी 70% बाघ भारत में हैं। मंगलवार को पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 2018 की 'बाघ जनगणना' की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की। ये जनगणना हर चार साल में होती है। उन्होंने बताया कि 1973 में हमारे देश में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। ये सभी टाइगर रिजर्व या तो अच्छे हैं या फिर बेस्ट हैं। बाघों की घटती आबदी पर 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में ग्लोबल टाइगर समिट हुई थी, जिसमें 2022 तक टाइगर पॉपुलेशन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था। इस समिट में सभी 13 टाइगर रेंज नेशन ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल थे। 2010 में तय किए लक्ष्य की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। आठ साल में ही यहां बाघों की आबादी 74% बढ़ी। जिस तेजी से देश में बाघों की आबादी बढ़ रही है उससे उम्मीद है कि 2022 का लक्ष्य भारत हासिल कर लेगा। भारत में बाघों की आबादी ...