Skip to main content

कोरोना वैक्सीन कोई भी खोजे, पर भारत में बने तभी दुनिया को ज्यादा फायदा, सस्ती और आसानी से मिलेगी: स्वामीनाथन

कोरोना का संक्रमण कब खत्म होगा, वायरस के लिए कौन है जिम्मेदार, दवा या वैक्सीन बाजार में कब आ सकती है, डब्ल्यूएचओ की टीम जांच के लिए अभी तक चीन क्यों नहीं जा पाई? इन सवालों के जवाब दुनियाभर के लोग जानना चाहते हैं। इन्हीं सवालों को लेकर भास्कर के वरिष्ठ संवाददाता पवन कुमार ने डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन से बात की। पढ़िए बातचीत के मुख्य अंश...

सवालः डब्ल्यूएचओ यह बताने की स्थिति में है कि दुनिया कोरोना की चपेट में कैसे आई, कहां चूक हुई?
जवाबः डब्ल्यूएचओ समेत अधिकांश देशों को पता था कि इस तरह का वायरस किसी भी वक्त दुनिया को चपेट में ले सकता है। इसके लिए डब्ल्यूएचओ और अन्य कई एजेंसियां 15-20 सालों से सचेत कर रही थीं, पर इसे बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया गया। किसी भी देश ने तैयारी नहीं की, इसलिए समस्या बढ़ गई।

सवालःयदि चीन वायरस के बारे में समय से जानकारी साझा करता तो क्या स्थिति ऐसी भयावह होती?
जवाबःचीन ने पिछले साल 31 दिसंबर को इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी के बारे में बताया, 4 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी जानकारी दी और 11 जनवरी को कोरोना की पुष्टि भी कर दी थी। फरवरी में डब्ल्यूचओ की टीम 10 दिनों के लिए चीन गई थी। पर इस दौरान सिर्फ क्लीनिकल और एपिडेमियोलॉजिकल स्टडी हुई थी।

सवालःकितने देश कोरोना की दवा-वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं?
जवाबः25-30 देश वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। कुछ एडवांस स्टेज पर हैं, कुछ का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। अभी नहीं कह सकते कि वैक्सीन इंसान पर कारगर होगी या नहीं। मॉनिटरिंग जारी है। कोई भी देश वैक्सीन तैयार करे, उत्पादन भारत में होगा तभी दुनिया को यह सस्ता, जल्दी और आसानी से मिल पाएगा।

सवालःअमेरिका समेत कई देश वायरस को लेकर चीन पर आरोप लगा रहे हैं, जांच क्यों नहीं हो पा रही है?
जवाबःऐसी बात नहीं है, पहले भी टीम गई थी और वैज्ञानिकों की एक टीम जल्द चीन जाने वाली है, जो वायरस की उत्पत्ति के बारे में जांच करेगी। इसमें अमेरिका, अफ्रीका, रूस के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वायरस कैसे इंसानों में पहुंचा, इसकी भी जांच होगी। अभी तक की स्टडी से यह पता चला है कि यह चमगादड़ से मनुष्य में आया।

सवालःकब तक कोरोनावायरस परेशान करता रहेगा?
जवाबःअलग-अलग देशों में 2021 के अंत तक यह वायरस परेशान कर सकता है। वैक्सीन बन गई तो राहत मिल सकती है। मुंह-नाक ढंकने से संक्रमण का प्रसार 50% तक कम कर सकते हैं। जरा भी लापरवाही हुई तो स्थिति पूरी तरह से बदल सकती है।

सवालःबीसीजी वैक्सीन और एचसीक्यू कारगर हैं?
जवाबःइसका अभी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। एशियाई देशों में मामले कम हैं, इसकी वजह वहां की तैयारियां हो सकती हैं। आने वाला समय कैसा रहेगा, अभी नहीं कह सकते।

सवालःकोरोना को लेकर अब डब्ल्यूएचओ की सबसे बड़ी चिंता क्या है?
जवाबःवैक्सीन आने तक मुस्तैद रहना होगा। मेंटल हेल्थ, घरेलू हिंसा, बच्चों के प्रति अपराध रोकना बड़ी चुनौती है। कोरोना के कारण अन्य बीमारियों और वैक्सीनेशन से ध्यान हटा है। इससे मीजल्स, डायरिया, निमोनिया और टीबी से ज्यादा बच्चों की मौत हो सकती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि किसी भी देश ने इस वायरस को गंभीरता से नहीं लिया, इसलिए समस्या बढ़ गई।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31t91sP

Comments

Popular posts from this blog

आज वर्ल्ड हार्ट डे; 1954 में सर्न बना जिसने खोजा गॉड पार्टिकल, भारत भी रहा था इस सबसे बड़ी खोज का हिस्सा

वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाता है, ताकि लोगों को दिल की बीमारियों के बारे में जागरुक कर सके। 1999 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन, तब तय हुआ था कि सितंबर के आखिरी रविवार को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाएगा। पहला वर्ल्ड हार्ट डे 24 सितंबर 2000 को मना था। 2011 तक यही सिलसिला चला। मई 2012 में दुनियाभर के नेताओं ने तय किया कि नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज की वजह से होने वाली मौतों को 2025 तक घटाकर 25% लाना है। इसमें भी आधी मौतें सिर्फ दिल के रोगों की वजह से होती है। ऐसे में वर्ल्ड हार्ट डे को मान्यता मिली और हर साल यह 29 सितंबर को मनाया जाने लगा। इस कैम्पेन के जरिये वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन सभी देशों और पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाता है और कार्डियोवस्कुलर रोगों से लड़ने के लिए जागरुकता फैलाने का काम करता है। दुनियाभर में दिल के रोग नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज में सबसे ज्यादा घातक साबित हुए हैं। हर साल करीब दो करोड़ लोगों की मौत दिल के रोगों की वजह से हो रही है। इसे अब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी माना जाता है, जिससे अपनी लाइफस्टाइल को सुधारक...

60 पार्टियों के 1066 कैंडिडेट; 2015 में इनमें से 54 सीटें महागठबंधन की थीं, 4 अलग-अलग समय वोटिंग

बिहार में चुनाव है। तीन फेज में वोटिंग होनी है। आज पहले फेज की 71 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 1 हजार 66 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 952 पुरुष और 114 महिलाएं हैं। दूसरे फेज की वोटिंग 3 नवंबर और तीसरे फेज की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने वोटिंग का समय एक घंटे बढ़ाया है। लेकिन, अलग-अलग सीटों पर वोटिंग खत्म होने का समय अलग-अलग है। 4 सीटों पर सुबह 7 से शाम 3 बजे तक वोटिंग होगी। वहीं, 26 सीटों पर शाम 4 बजे तक, 5 सीटों पर 5 बजे तक, बाकी 36 सीटों पर 6 बजे तक वोट डाले जाएंगे। पहले फेज की 6 बड़ी बातें सबसे ज्यादा 27 उम्मीदवार गया टाउन और सबसे कम 5 उम्मीदवार कटोरिया सीट पर। सबसे ज्यादा 42 सीटों पर राजद, 41 पर लोजपा और 40 पर रालोसपा चुनाव लड़ रही है। भाजपा 29 पर और उसकी सहयोगी जदयू 35 पर मैदान में है। 22 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार हैं। 31 हजार 371 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इसमें 31 हजार 371 कंट्रोल यूनिट और VVPAT यूज होंगे। 41 हजार 689 EVM का इस्तेमाल होगा। वोटर के लिहाज से हिसुआ सबसे बड़ी विधानसभा है। यहां 3.76 लाख मतदाता हैं। इनमें 1.96...

दुनिया के 70% बाघ भारत में रहते हैं; बिहार, केरल और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बढ़ रही है इनकी आबादी

आज ग्लोबल टाइगर डे है। इस वक्त पूरी दुनिया में करीब 4,200 बाघ बचे हैं। सिर्फ 13 देश हैं जहां बाघ पाए जाते हैं। इनमें से भी 70% बाघ भारत में हैं। मंगलवार को पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 2018 की 'बाघ जनगणना' की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की। ये जनगणना हर चार साल में होती है। उन्होंने बताया कि 1973 में हमारे देश में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। ये सभी टाइगर रिजर्व या तो अच्छे हैं या फिर बेस्ट हैं। बाघों की घटती आबदी पर 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में ग्लोबल टाइगर समिट हुई थी, जिसमें 2022 तक टाइगर पॉपुलेशन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था। इस समिट में सभी 13 टाइगर रेंज नेशन ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल थे। 2010 में तय किए लक्ष्य की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। आठ साल में ही यहां बाघों की आबादी 74% बढ़ी। जिस तेजी से देश में बाघों की आबादी बढ़ रही है उससे उम्मीद है कि 2022 का लक्ष्य भारत हासिल कर लेगा। भारत में बाघों की आबादी ...