Skip to main content

छह भाई, पान की दुकान से हर महीने 40 हजार कमाते थे, एक भाई को साल में दो महीने ही दुकान चलाने को मिलती थी

नरेंद्र कुमार शर्मा की जुहू बीच पर पान की दुकान है। वे छ: भाई हैं। हर भाई को दो महीने के लिए दुकान पर धंधा करने को मिलता है। इस दो महीने में अस्सी से नब्बे हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है। परिवार में सब मिलाकर 40 लोग हैं। पिछले 34 सालों से यह सिलसिला ऐसा ही चला आ रहा था लेकिन लॉकडाउन ने इसे तोड़ दिया।

अब मुंबई तो अनलॉक हो गई लेकिन बीच अभी भी लॉक हैं। यहां धंधा करने की परमिशन किसी को नहीं मिली है। नरेंद्र एक सेठ के पास काम कर रहे हैं। कहते हैं, दुकान चलाने का टर्न अभी मेरे बड़े भाई का है। लेकिन वो चाहकर भी खोल नहीं सकते। अगले महीने मेरा टर्न आएगा, शायद तब तक परमिशन मिल जाए।

दो महीने पान की दुकान चलाते हो, फिर सालभर क्या करते हो? इस पर कहते हैं दूसरी जगह काम करते हैं। पान की दुकान पिताजी ने खोली थी और वो जुहू बीच पर है। यहां दूसरी दुकान खोलने की परमिशन नहीं है। इसलिए बारी-बारी से चलाते हैं, क्योंकि कमाई अच्छी हो जाती है।

नरेंद्र कुमार शर्मा पिछले 34 सालों से जुहू बीच पर पान की दुकान चला रहे हैं।

20 से 25 हजार लोग रोज आते थे
नरेंद्र ही नहीं उनके जैसे ढेरों लोग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी बीच के सहारे ही चल रही थी। इसमें फेरी लगाने वाले, ठेला लगाने वाले, फोटोग्राफी करने वाले, स्टॉल लगाने वालों से लेकर जादू दिखाने वाले तक शामिल हैं। साढ़े चार किमी लंबा जुहू मुंबई का सबसे बड़ा बीच है। इसके पांच से छ एंट्री पॉइंट हैं और लॉकडाउन के पहले यहां हर रोज 20 से 25 हजार लोगों का आना आम था।

वीकेंड में ये संख्या तीन गुना तक बढ़ जाती थी, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता था लेकिन अब सब ठप्प पड़ा है। जुहू बीच हॉकर्स एसोसिएशन के मेंबर खेमराज अग्रवाल कहते हैं, सात महीने में यहां के व्यापारियों का तीन से चार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

भेल, कोल्ड-ड्रिंक, आईस्क्रीम, वड़ा पाव, भाजी पाव जैसे आयटम यहां पर स्टॉल से बेचे जाते हैं। इनमें काम करने वाले वर्कर्स में अधिकतर यूपी, बिहार, उड़ीसा, केरल जैसे राज्यों के लोग थे जो लॉकडाउन लगते ही यहां से चले गए। कोरोना के डर से वो अभी आ भी नहीं रहे और उन्हें बुला भी लें तो धंधा कुछ नहीं है।

मुंबई तो अब अनलॉक हो चुकी है लेकिन बीच पर जो दुकानें हैं, वो बंद हैं। यहां काम करने वाले बेरोजगार हैं।

मुंबई में अभी टिकना मुश्किल है...
अभी सुबह 5 से 9 और शाम को 5 से 7 बजे तक बीच पर लोगों को आने की परमिशन दी गई है, लेकिन दुकानें नहीं खोली जा सकतीं। शुक्रवार को जब हम बीच पर पहुंचे तो कैमरा हाथ में लिए विनोद पंडित मिले। वे कई सालों से जुहू बीच पर ही फोटोग्राफी कर रहे हैं। इसी से उनका गुजर बसर चलता है।

लॉकडाउन लगा तो गांव चले गए थे। दस दिन पहले वापस आए लेकिन अब फिर अपने गांव जाने का सोच रहे हैं, क्योंकि कोई फोटो खिंचवाने वाला नहीं है। पहले जब लोग आते थे तो महीने का पंद्रह से बीस हजार रुपए आसानी से कमा लेते थे। कहते हैं, बिना काम के मुंबई में ज्यादा टिकना बहुत मुश्किल है।

विनोद पंडित बीच पर लोगों की फोटो लिया करते हैं, इससे पहले अच्छी कमाई हो जाती थी लेकिन अब गुजर बसर नहीं कर पा रहे।

एक कमरे में दस-पंद्रह लोगों के रहने की मजबूरी...
यही कहानी बीच पर कुल्फी बेचने वाले सुभाष सिंह की भी है। जिस कंपनी की कुल्फी बेचते हैं, उसने सुभाष को ठहरने की व्यवस्था फ्री में दी है लेकिन एक कमरे में दस से बारह लोग रहते हैं। अब ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे फॉलो करें? सुभाष के परिवार में पांच भाई हैं, सब गांव में रहते हैं।

आप महीने का कितना कमा लेते हो? इस पर बोले, बारह से पंद्रह हजार की बचत हो जाती है। सब कुल्फी बेचने वाले एक ही कमरे में रहते हैं। सबके परिवार गांव में हैं। अपना बनाते-खाते हैं और यहीं पड़े रहते हैं। चार-चार माह में पैसा जोड़कर घर भेज देते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई हो सके।

लेकिन अभी तो हालत ऐसी है कि जो कुल्फी ला रहे हैं, वो ही गल जा रही है, क्योंकि खरीदने वाला कोई नहीं है। कुछ लोग आ रहे हैं, लेकिन कोरोना के डर से कुल्फी नहीं खरीद रहे।

सुभाष जिस कमरे में रहते हैं, वो आठ-दस लोग और रहते हैं। कहते हैं हर कोई पेट पालने के लिए मुंबई में है।

वो महिला सीधे दौड़ते हुए पानी में घुस गई थी
पिछले दिनों गणेश उत्सव के दौरान एक महिला दौड़ते हुए आई और सीधे पानी की तरफ बढ़ने लगी। वो काफी अंदर चली गई थी, तब मुझे कुछ गड़बड़ लगी तो मैं उसके पीछे दौड़ा और उसे पकड़कर पानी से बाहर निकाला। दरअसल वो सुसाइड करने आई थी। इस महिला की जान बचाने वाले थे लाइफगार्ड सागर ठाकुर।

सागर बेवाच लाइफगार्ड एसोसिएशन के साथ बीच पर लोगों की जान बचाने का काम करते हैं। इसके अलावा वो बीच पर ही एक रेस्टोरेंट में नौकरी भी करते थे। कोरोना के चलते उनकी नौकरी चली गई। कहते हैं, तब से दिनभर बीच पर ही रहता हूं। हमारे साथ 125 लोगों की टीम है, जो फ्री में यह काम कर रही है।

महिला सुसाइड क्यों कर रही थी? इस पर सागर ने बताया कि हम उसे पुलिस के पास ले गए थे। उसने पुलिस को बताया कि कामधंधा कुछ नहीं है। जिंदगी से परेशान हो गई हूं। इसलिए मरना चाहती हूं। कुछ समय पहले एक बीस साल का लड़का भी ऐसे भी सुसाइड के लिए जुहू बीच पर आया था, उसे भी बड़ी मुश्किल से बचाया।

सागर बेवाच लाइफगार्ड एसोसिएशन से जुड़े हैं। ये लोग बिना कोई शुल्क लिए बीच पर लोगों की जान बचाने का काम करते हैं।

मुंबई में जुहू के अलावा वर्सोवा, गिरगांव चौपाटी, मड आइलैंड, अक्सा, मार्वे, कळंब ऐसे बीच हैं, जहां काफी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते थे। अब सभी बीच पर सुबह और शाम के समय ही आने-जाने की परमिशन दी गई है लेकिन यहां दुकानें खोलने की मनाही है।

यदि कुछ दिन और यूं ही सब बंद रहता है तो बीच के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे लोगों पर बड़ी आफत आ जाएगी। जुहू हॉकर्स सोसायटी के मेंबर गणेश तंवर कहते हैं, सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए। अभी जिन लोगों से काम करवा रहे हैं, उन्हें आधा पगार दे रहे हैं। अधिकतर वर्कर बिहार के थे। अभी लौटे नहीं हैं। कोरोना बढ़ रहा है इसलिए दुकानें खुलने की अभी कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ground report from juhu beach mumbai lockdown effect


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2HBcWfl

Comments

Popular posts from this blog

आज वर्ल्ड हार्ट डे; 1954 में सर्न बना जिसने खोजा गॉड पार्टिकल, भारत भी रहा था इस सबसे बड़ी खोज का हिस्सा

वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाता है, ताकि लोगों को दिल की बीमारियों के बारे में जागरुक कर सके। 1999 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन, तब तय हुआ था कि सितंबर के आखिरी रविवार को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाएगा। पहला वर्ल्ड हार्ट डे 24 सितंबर 2000 को मना था। 2011 तक यही सिलसिला चला। मई 2012 में दुनियाभर के नेताओं ने तय किया कि नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज की वजह से होने वाली मौतों को 2025 तक घटाकर 25% लाना है। इसमें भी आधी मौतें सिर्फ दिल के रोगों की वजह से होती है। ऐसे में वर्ल्ड हार्ट डे को मान्यता मिली और हर साल यह 29 सितंबर को मनाया जाने लगा। इस कैम्पेन के जरिये वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन सभी देशों और पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाता है और कार्डियोवस्कुलर रोगों से लड़ने के लिए जागरुकता फैलाने का काम करता है। दुनियाभर में दिल के रोग नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज में सबसे ज्यादा घातक साबित हुए हैं। हर साल करीब दो करोड़ लोगों की मौत दिल के रोगों की वजह से हो रही है। इसे अब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी माना जाता है, जिससे अपनी लाइफस्टाइल को सुधारक

60 पार्टियों के 1066 कैंडिडेट; 2015 में इनमें से 54 सीटें महागठबंधन की थीं, 4 अलग-अलग समय वोटिंग

बिहार में चुनाव है। तीन फेज में वोटिंग होनी है। आज पहले फेज की 71 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 1 हजार 66 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 952 पुरुष और 114 महिलाएं हैं। दूसरे फेज की वोटिंग 3 नवंबर और तीसरे फेज की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने वोटिंग का समय एक घंटे बढ़ाया है। लेकिन, अलग-अलग सीटों पर वोटिंग खत्म होने का समय अलग-अलग है। 4 सीटों पर सुबह 7 से शाम 3 बजे तक वोटिंग होगी। वहीं, 26 सीटों पर शाम 4 बजे तक, 5 सीटों पर 5 बजे तक, बाकी 36 सीटों पर 6 बजे तक वोट डाले जाएंगे। पहले फेज की 6 बड़ी बातें सबसे ज्यादा 27 उम्मीदवार गया टाउन और सबसे कम 5 उम्मीदवार कटोरिया सीट पर। सबसे ज्यादा 42 सीटों पर राजद, 41 पर लोजपा और 40 पर रालोसपा चुनाव लड़ रही है। भाजपा 29 पर और उसकी सहयोगी जदयू 35 पर मैदान में है। 22 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार हैं। 31 हजार 371 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इसमें 31 हजार 371 कंट्रोल यूनिट और VVPAT यूज होंगे। 41 हजार 689 EVM का इस्तेमाल होगा। वोटर के लिहाज से हिसुआ सबसे बड़ी विधानसभा है। यहां 3.76 लाख मतदाता हैं। इनमें 1.96

दुनिया के 70% बाघ भारत में रहते हैं; बिहार, केरल और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बढ़ रही है इनकी आबादी

आज ग्लोबल टाइगर डे है। इस वक्त पूरी दुनिया में करीब 4,200 बाघ बचे हैं। सिर्फ 13 देश हैं जहां बाघ पाए जाते हैं। इनमें से भी 70% बाघ भारत में हैं। मंगलवार को पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 2018 की 'बाघ जनगणना' की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की। ये जनगणना हर चार साल में होती है। उन्होंने बताया कि 1973 में हमारे देश में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। ये सभी टाइगर रिजर्व या तो अच्छे हैं या फिर बेस्ट हैं। बाघों की घटती आबदी पर 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में ग्लोबल टाइगर समिट हुई थी, जिसमें 2022 तक टाइगर पॉपुलेशन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था। इस समिट में सभी 13 टाइगर रेंज नेशन ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल थे। 2010 में तय किए लक्ष्य की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। आठ साल में ही यहां बाघों की आबादी 74% बढ़ी। जिस तेजी से देश में बाघों की आबादी बढ़ रही है उससे उम्मीद है कि 2022 का लक्ष्य भारत हासिल कर लेगा। भारत में बाघों की आबादी