Skip to main content

यूट्यूब से देखकर सीखा नोट छापना, 21 साल का युवक दोस्तों के साथ मिलकर चला रहा था  गिरोह

शुरूआत भीड़-भाड़ में 50 रुपए के नकली नोट देकर हुई। कामयाबी मिली तो बड़े नोट छापने लगे और देखते ही देखते खड़ा कर लिया लाखों का रुपए के नकली नोट का ढेर । महज 21 साल की उम्र में छत्तीसगढ़ का एक युवक नकली नोट खपाने का गिरोह चला रहा था। मामले महासमुंद जिले का है। इस केस में अब पुलिस ने तीन लड़कों को पकड़ा है इनके पास से 4 लाख 32 हजार के नकली नोट मिले हैं।


बिना कंप्यूटर के छापते थे नोट
महासमुंद एसपी प्रफुल्ल ठाकुर की टीम ने इस केस में मुख्य सरगना आरंग निवासी 21 साल के तेजेश्वर दास मानिकपुरी के साथ उसके साथी योगेन्द्र दास मानिकपुरी और रायपुर की WRS कॉलोनी के अविनाश फुले को पकड़ा है। तेजेश्वर ने बताया कि यूट्यूब पर उसने एक वीडियो देखा था जिसमें बिना कंप्यूटर नोट छापने का तरीका बताया गया था। जैसे-तैसे इसने कलर प्रिंटर, बॉन्ड पेपर, इंक वगैरह का जुगाड़ किया और नोट छापने की प्रैक्टिस की। शुरूआत में एक नोट छापा और उसे जाकर किराने की दुकान में दे दिया।

तस्वीर में दिख रहे नोट नकली है, जिसे युवक अपने घर में ही छाप दिया करते थे।

इसके बाद ये बातें तेजेश्वर ने अपने दोस्तों को बताई। जल्दी अमीर बनने के लालच में तीनों युवकों ने इस नादानी को धंधा बना लिया। युवकों ने महासमुंद के कई हिस्सों में नकली नोट चलाने शुरू कर दिए। रविवार को भी नोटों का बड़ा बंडल लेकर इसे खपाने की ताक में थे कि तभी पुलिस को एक मुखबीर ने इनकी जानकारी दे दी। पुलिस ने इन्हें पकड़ा युवकों के पास से 2000, 500, 200, 100 और 20 रू. के नकली नोट मिले हैं। तीनों आरोपियों कुल 4,32,860 रुपये, एच.पी. कंपनी का कलर प्रिंटर, कैंची, बॉन्ड पेपर, हरा टेप, स्कैच कलर पेन, प्रिंटर इंक, 3 नग मोबाइल मिले हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
तस्वीर महासमुंद की है। पुलिस की गिरफ्त में मौजूद युवकों के पूछताछ जारी है कि कहां-कहां इन्होंने नोट खपाए हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34O89Qh

Comments

Popular posts from this blog

सीएसई रिपोर्ट:स्मॉग केवल दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं, गंगा के मैदानों तक फैल चुका; 56 शहरों में वाहन-औद्योगिक प्रदूषण व पराली जलाने से खराब हाल

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/3EwCu4O

कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमें काम के महत्व को समझना चाहिए

कहानी- महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए कोलकाता पहुंचे थे। उस समय उन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से ही जाना जाता था। जब वे कोलकाता में कांग्रेस कार्यालय पहुंचे, तो वहां उनकी मुलाकात घोषाल जी से हुई। घोषाल जी ही कांग्रेस कार्यालय का कामकाज देख रहे थे। गांधीजी ने उनसे कहा, 'मैं यहां काम करने आया हूं। कोई काम हो तो बताएं।' घोषाल जी ने गांधी को देखा तो उन्हें लगा कि ये क्या काम करेगा? कुछ सोचकर वे बोले, 'मेरे पास कोई बहुत बड़ा काम नहीं है। यहां बहुत से पत्र आए हुए हैं। इनमें से जो उपयुक्त हैं, उन्हें अलग निकालना है और उनके उत्तर देना है। क्या तुम ये काम कर सकते हो?' गांधीजी इस काम के लिए तैयार हो गए और उन्होंने पत्रों के जवाब भी दे दिए। घोषाल जी को ये देखकर आश्चर्य हुआ कि एक-एक पत्र को गंभीरता से पढ़ा गया और उनके सही उत्तर भी गांधीजी द्वारा दिए गए। घोषाल जी कार्यालय से निकलने लगे तो उनकी शर्ट के बटन गांधीजी ने लगा दिए। आमतौर ये काम घोषाल जी का सेवक ही करता था। जब गांधीजी ने बटन लगाए तो घोषाल जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने गा...